1

जिसका समय व्यर्थ व्यय होता है, उसने समयका मूल्य समझा ही नहीं । मनुष्यको कभी निकम्मा नहीं रहना चाहिये; अपितु सदा-सर्वदा उत्तम-से-उत्तम कार्य करते रहना चाहिये । मनसे भगवान्का चिन्तन, वाणीसे भगवान्के नामका जप, सबको नारायण समझकर शरीरसे जगज्जनार्दनकी नि:स्वार्थ सेवा यही उत्तम-से-उत्तम कर्म है । -- परम श्रद्धेय जयदयालजी गोयन्दका

no comments (yet)
sorted by: hot top controversial new old
there doesn't seem to be anything here
this post was submitted on 14 Jun 2023
1 points (100.0% liked)

Hinduism

0 readers
0 users here now

General discussion on topics of Hinduism

Rules

Below is a list of other Indian communities

founded 1 year ago
MODERATORS